Crossings Republik (Ghaziabad) : Dumping Ground in Dundahera to remain

Map of Dundahera Dumping Ground and CR Sewage Treatment Plant

डूंडाहेड़ा डंपिंग ग्राउंड का काम हुआ शुरू

Dec 29, 2012, 02.18AM IST

नगर संवाददाता ॥ नवयुग मार्केट
एनएच-24 से लगते डूंडाहेड़ा डंपिंग ग्राउंड बनाने के काम शुक्रवार को पुलिस के पहले में शुरू हो गया। हालांकि कोई विरोध नहीं हुआ। डंपिंग ग्राउंड के आसपास कई ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट हैं। यहां डंपिंग ग्राउंड बनने से उनकी टेंशन बढ़ने जा रही है। इसे बनाने का काम जल निगम का है। इस प्रोजेक्ट के लिए पहले ही करीब साढ़े छह करोड़ रुपये एडवांस में दिया हुआ है। यहां डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए पहले ही कोर्ट का आदेश आ चुका था।
14 एकड़ जमीन पर शुरू हुआ काम
नगर आयुक्त जितेन्द्र सिंह के मुताबिक डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने का काम फिलहाल 14 एकड़ जमीन पर शुरू किया गया है। शुक्रवार से बाउंड्री का काम शुरू हुआ है। नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग के प्रभारी तहसीलदार वी. वी. राठौर सहित जल निगम और पुलिस के अधिकारियों ने साइट पर डेरा डाले रखा। हालांकि 26 दिसंबर को नगर निगम बोर्ड की बैठक में नगर आयुक्त जितेन्द्र सिंह का कहना था कि 26 जनवरी से नगर निगम इसके बनाने का कार्य शुरू कराएगा। मगर शुक्रवार को आनन -फानन में काम शुरू करा दिया गया। डंपिंग ग्राउंड की मॉनिटरिंग करने वाली कमिटी के चेयरमैन भूरे लाल सिटी में मौजूद थे।
बाकी जमीन गौतमबुद्धनगर का होगा
नगर निगम के प्रॉपर्टी अधिकारी तहसीलदार वी. वी. राठौर का कहना था कि डंपिंड ग्राउंड कुल 34 एकड़ जमीन में बनाया जाएगा। 14 एकड़ जमीन नगर निगम के कब्जे में है। बाकी करीब 20 एकड़ जमीन फिलहाल गौतमबुद्धनगर प्रशासन के कब्जे में है। सेकंड फेज में इस जमीन पर भी डंपिंग ग्राउंड बनाया जाएगा।

करहेड़ा डंपिंग जोन बनाने की कहानी
नगर आयुक्त जितेन्द्र सिंह का कहना है कि सिटी में डंपिंग ग्राउंड नहीं है। वर्ष 2003 में डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने का प्लान किया गया था। रक्षा मंत्रालय ने नगर निगम को इस प्रोजेक्ट के लिए करीब 12 करोड़ रुपये आवंटित किया था। बाद में जीडीए ने अपने मास्टर प्लान 2021 में इस जमीन को आर जोन में शामिल कर नया विवाद शुरू कर दिया। इस जमीन से कुछ ही दूरी पर ग्रुप हाउसिंग के नक्शे पास कर दिए। अब कई ग्रुप हाउसिंग प्रोजेक्ट डिवेलप हो चुके हैं। बाद में विवाद हाई कोर्ट तक पहंुचा। एक जनहित याचिका की सुनवाई के दौरान नगर निगम के हित में फैसला हुआ। उन्होंने कहा कि डंपिंग ग्राउंड के बन जाने के बाद सिटी में जगह-जगह कूड़ा डाला जाएगा और गंदगी नहीं फैलेगी।

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डूंडाहेड़ा प्रस्तावित डंपिंग ग्राउंड :सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम, जीडीए और प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से जवाबतलब

गाजियाबाद। डूंडाहेड़ा में प्रस्तावित डंपिंग ग्राउंड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने नगर निगम, जीडीए और प्रदेश शासन के मुख्य सचिव से जवाबतलब किया है। अंसल एक्वापोलिस और क्रासिंग इंफ्रा लिमिटेड की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ताओं को भी हाईकोर्ट द्वारा निर्धारित जुर्माना राशि भरने के आदेश दिए। कोर्ट ने जुर्माना राशि भरने के बाद ही मामले की अगली सुनवाई करने की बात कही। कोर्ट ने याचिकाकर्ता को चार सप्ताह का समय दिया है।

क्रासिंग इंफा के वकील केविन गुलाटी ने बताया कि हाईकोर्ट द्वारा डंपिंग ग्राउंड निर्माण में देरी के लिए बिल्डर्स को एक-एक करोड़ रुपये भरने का आदेश दिया था। इसके खिलाफ अंसल और क्रासिंग ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिकाकर्ताओं ने दलील दी कि डंपिंग ग्राउंड निर्माण के लिए जरूरी 45 एकड़ जमीन ही नहीं थी, तो इसका निर्माण कैसे होता। मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस बीएस चौहान और टीएस ठाकुर की पीठ ने याचिकाकर्ताओं की दलील से सहमति जताई। पीठ ने उपलब्ध 14 एकड़ जमीन को डंपिंग ग्राउंड निर्माण के लिए नाकाफी माना। पीठ ने कहा कि पर्याप्त जमीन की व्यवस्था के बिना नगर निगम डंपिंग ग्राउंड बनाने की प्रक्रिया नहीं शुरू कर सकता। इसके अलावा कोर्ट ने यह भी कहा कि एक बार जब जीडीए ने आवासीय कालोनी विकसित करने का लाइसेंस बिल्डरों को दे दिया तो सरकार के भू-उपयोग परिवर्तन के फैसले को हाईकोर्ट रद्द नहीं करता सकता। पीठ ने जीडीए, नगर निगम और मुख्य सचिव को नोटिस करते हुए याचिकाकर्ताओं को चार सप्ताह में जुर्माना राशि भरने के बाद कोर्ट आने के निर्देश दिए। क्रासिंग इंफ्रा ने अपनी धनराशि पहले ही जमा कर दी है। अंसल द्वारा निर्धारित एक करोड़ रुपये की राशि को जमा करने के बाद मामले की आगे सुनवाई होगी।

 अंसल और क्रासिंग इंफ्रा की याचिका पर जीडीए, नगर निगम और मुख्य सचिव को भेजा नोटिस

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इंदिरापुरम व डूंडाहेड़ा एसटीपी का परीक्षण संचालन इसी हफ्ते

गाजियाबाद। वरिष्ठ संवाददाता। सीवर की समस्या से त्रस्त हिंडन पार और लाइन पार के लाखों लोगों के लिए नया साल बड़ी राहत लेकर आया है। जीडीए अफसरों ने दावा किया है कि इंदिरापुरम और डूंडाहेड़ा में 56-56 एमएलडी के दोनों एसटीपी प्लांट का निर्माण पूरा हो गया है। इसी हफ्ते दोनों प्लांट का परीक्षण संचालन शुरू कर दिया जाएगा। 15 जनवरी से एसटीपी प्लांट का व्यावहारिक संचालन शुरू कर दिया जाएगा। इंदिरापुरम और डूंडाहेड़ा में 56-56 एमएलडी के आधुनिक एसटीपी प्लांट से सीवेज का ट्रीटमेंट हो सकेगा।

दोनों एसटीपी प्लांट से हिंडन पार और लाइन पार की सभी कॉलोनियों की सीवेज समस्या दूर हो जाएगी। इससे हिंडन का प्रदूषण भी कम हो सकेगा। इन पर करीब 140 करोड़ रुपये का खर्च आया है। प्रदेश में गाजियाबाद पहला ऐसा शहर होगा जहां अगले तीन वर्षो में सर्वाधिक एसटीपी प्लांट न सिर्फ स्थापित कर लिए जाएंगे बल्कि कार्य भी करने लगेंगे। ये फायदे होंगे-हिंडन के प्रदूषण का ग्राफ कम होगा-स्किवेंसिंग बैच रेक्टर (एसबीआर) तकनीकी आधारित होगा प्लांट-इससे 5 से 10 बायो ऑक्सीजन डिमांड (बीओडी) पर सीवेज पानी का शोधन-ट्रीटमेंट के बाद पानी का सिंचाई के लिए उपयोग मुमकिन-बदबू नहीं होने पर आसपास के लोगों को परेशानी नहीं -संपर्क में आने पर प्रभावित होने का भय भी नहीं रहेगा

Source: -Hindustan

गालंद सॉलिड वेस्ट प्लांट का सफर स्मूद

31 Dec 2011, 0400 hrs IST

नगर संवाददाता ॥ नवयुग मार्केट

एनएच-24 से सटे गांव गालंद में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनानेे का रास्ता साफ हो गया है। हाईटेक टाउनशिप डिवेलपर दो कंपनियों ने सीधे तौर पर किसानों से खरीदी गई करीब दस एकड़ जमीन शुक्रवार को जीडीए के पक्ष मंे रजिस्ट्री कर दी है। यहां डंपिंग ग्राउंड और सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए और लगभग 19 एकड़ जमीन की जरूरत होगी। हाईटेक डिवेलपर कंपनियां किसानांे से अब इसे सीधे खरीद रही हैं।

जीडीए वीसी एन. के. चौधरी ने बताया कि शुक्रवार को लगभग 10 एकड़ जमीन की रजिस्ट्री कराई गई है। जीडीए के भू-अर्जन अधिकारी ज्ञानेन्द्र वर्मा ने बताया कि किसानों से रजिस्ट्री की प्रक्रिया जीडीए के पक्ष में पूरी कराई। उन्होंने बताया कि सिटी में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट और डंपिंग ग्राउंड के लिए कुल 43 एकड़ जमीन की जरूरत है। गांव डूंडाहेड़ा में इस प्रोजेक्ट के लिए नगर निगम के पास पहले से ही करीब 14 एकड़ जमीन है। बाकी 29 एकड़ जमीन गांव गालंद और पिपलेहड़ा एरिया के किसानों से जमीन की खरीद की जा रही है। जीडीए का दावा है कि जल्दी ही बाकी जमीन भी जीडीए को मिल जाएगी।

सॉलिडवेस्ट मैनेजमेंट प्लांट प्रोजेक्ट लगाने का कार्य नगर निगम कराएगा। नगर निगम ने पहले ही सिटी के लिए सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट लगाने के लिए एक निजी क्षेत्र की कंपनी से अनुबंध किया हुआ है। वर्मा के मुताबिक 29 एकड़ जमीन की खरीद होने के बाद इसे नगर निगम को सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट के लिए दे दिया जाएगा।

http://navbharattimes.indiatimes.com/articleshow/11308507.cms

डूंडाहेड़ा डंपिंग ग्राउंड में एटूजेड कंपनी बनाएगी कंपोस्ट प्लांट

Dec 13, 07:17 pm

गाजियाबाद, वसं : इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश के बाद डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने की कवायद शुरू हो चुकी है। नगर निगम ने एटूजेड कंपनी को डंपिंग ग्राउंड स्थल पर कंपोस्ट खाद का प्लांट लगाने की जिम्मेदारी सौंपी है। यह प्लांट पीपीपी मॉडल के आधार पर बनेगा। जबकि जल निगम की सी एंड डीएस इकाई एसएलएफ (साइंटिफिक लेंडफिल ) तैयार करेगी। नगर आयुक्त बसंत लाल ने कंपनी तथा जल निगम के अधिकारियों के साथ सोमवार को बैठक की और एक सप्ताह के भीतर हर हाल में कार्य शुरू करने के निर्देश दिए।

बैठक के बाद नगर आयुक्त ने बताया कि कुल 14 एकड़ भूमि पर डंपिंग ग्राउंड बनाया जाना है। जिसमें सात एकड़ भूमि पीपीपी मॉडल पर एटूजेड कपंनी को दी है। जो इसमें अपना कंपोस्ट प्लांट तैयार करेगी। नगर निगम को इसके निर्माण के लिए कोई शुल्क नहीं देगा। बल्कि कंपनी खुद कंपोस्ट खाद बनाकर बेचेगी और अपने धन की भरपाई करेगी। वहीं जल निगम की सी एंड डीएस शाखा सात एकड़ भूमि पर एसएलएफ तैयार करेगी। ताकि वैज्ञानिक तरीके से कूड़े का निस्तारण कराया जा सके। लाल ने अधिकारियों को निर्देश दिए है कि वे शीघ्र प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड से अनापत्ति प्रमाण पत्र भी हासिल कर लें।

Source: Dainik Jagran

राह का रोड़ा दूर करने की कोशिश शुरू

8 Dec 2011, 0400 hrs IST

 

संवाददाता ॥ नवयुग मार्केटडूंडाहेड़ा में प्रस्तावित सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट की राह में आए रोड़े को जल्द दूर किया जाएगा। जल निगम ने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग को लेटर लिखकर इस विवाद को निपटाने के लिए कहा है। नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग का कहना है कि जल्द ही इस संबंध में पूरी रिपोर्ट डीएम को भेजी जाएगी।बताया जाता है कि डूंडाहेड़ा में जहां नगर निगम की करीब 14 एकड़ जमीन पर सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाया जाना है, उस जमीन के बीच में करीब 3000 वर्ग मीटर जमीन किसी और की है। जल निगम ने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग को लेटर लिख कर इस विवाद के निपटारे के लिए कहा है। नगर निगम के प्रॉपर्टी अफसर टी. पी. वर्मा का कहना है कि लेटर उनके पास अभी नहीं पहंुचा है। लेटर पहुंचने पर कार्रवाई की जाएगी। उधर, जल निगम के अधीक्षण अभियंता टी. एस. अरोरा का कहना है कि उन्होंने नगर निगम के प्रॉपर्टी विभाग के प्रभारी तहसीलदार टी. पी. वर्मा को लेटर भेज दिया है। लेटर में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट से जुड़ी जमीन की समस्या का समाधान कराने के लिए कहा गया है।गौरतलब है कि डूंडाहेड़ा में सॉलिड वेस्ट मैनेजमेंट प्लांट बनाने का काम जल निगम की सी एंड डीएस (कंस्ट्रक्शन एंड डिजाइन सिस्टम) कर रहा है। प्लांट बनाने के लिए वर्ष 2003 में केन्द्र सरकार के रक्षा मंत्रालय ने करीब पौने 10 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता दी थी। सी एंड डीएस ने प्लांट बनाने का काम शुरू कर करीब तीन करोड़ रुपये खर्च भी कर दिए हैं। कोर्ट ने हाल ही में इस प्रोजेक्ट पर फिर से नगर निगम को कार्य शुरू करने के लिए आदेश दिया है। लेकिन अब नया विवाद खड़ा हो गया है। नगर निगम की 14 एकड़ जमीन के बीच में कुछ खसरों में एक अन्य किसान की जमीन का पता चला है। नगर निगम प्रशासन अब इस कोशिश में है कि जल्दी ही इस समस्या का निपटारा कर दिया जाए।

 

डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड शुरू करने की मांग

23 Sep 2011, 0400 hrs IST

नगर संवाददाता ॥ आरडीसी

डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड की साइट शुरू करने के लिए पार्षद राजेंद्र त्यागी ने नगर आयुक्त बसंत लाल को ज्ञापन सौंपा।

हाईकोर्ट की इलाहाबाद खंडपीठ ने 30 अगस्त को इसी साल डूंडाहेड़ा के डंपिंग ग्राउंड के पक्ष में अपना फैसला सुनाया था। पार्षद त्यागी का आरोप है कि फैसला आने के बाद भी नगर निगम प्रशासन ने अभी यहां साइट शुरू नहीं की है। उन्होंने नगर डंपिंग ग्राउंड की साइट को चालू करने की मांग की है।

त्यागी के मुताबिक हाई कोर्ट के आदेश के मुताबिक संबंधित बिल्डरों से एक-एक करोड़ रुपये एक्सक्लेरेशन कॉस्ट एवं दस-दस लाख रुपये जुर्माना वसूल कर उसे निगम के खाते में जमा करने, डंपिंग ग्राउंड की 6-7 सालों में बढ़ी कीमत का जायजा लेने के लिए नगर निगम द्वारा एक कमिटी बनाने, कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर डंपिंग ग्राउंड की बढ़ी लागत की वसूली संबंधित बिल्डर से वसूलने की मांग भी नगर आयुक्त से की।

डंपिंग ग्राउंड की साइट शुरू करने के साथ वहां कूड़े कचरे से बिजली उत्पादन करने वाली कंपनी से भी नगर निगम को सहयोग लेने, डंपिंग ग्राउंड के लिए प्रस्तावित 14 एकड़ जमीन पर एक बिल्डर द्वारा प्लॉट का ले-आउट तैयार कर उन्हें बेचने के मामले में नगर आयुक्त से थाने में रिपोर्ट दर्ज कराने की भी मांग की।

पार्षद के मुताबिक डंपिंग ग्राउंड 47 एकड़ जमीन पर बनाया जाना था। 14 एकड़ जमीन नगर निगम की बाकी 33 एकड़ जमीन गांव चिपियाना की सरकारी जमीन थी। यह जमीन ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी का हिस्सा है। यह जमीन नगर निगम को ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी से लेने के लिए उसका पुनर्ग्रहण किया जाना चाहिए। उन्हांेने पत्र की प्रति प्रदेश के प्रमुख सचिव आवास, प्रमुख सचिव नगर विकास, आयुक्त मेरठ मंडल, सीईओ ग्रेटर नोएडा अथॉरिटी, डीएम गाजियाबाद और गौतमबुद्घ नगर, मेयर तथा जीडीए वीसी को भी भेजी है।

http://navbharattimes.indiatimes.com/delhiarticleshow/10083337.cms

हाई कोर्ट ने कैंसल की बिल्डरों की याचिका,

खर्च बढ़ोतरी की एवज में निगम को 1-1 करोड़ देने के आदेश

10-10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया

प्रमुख संवाददाता/पीटीआई ॥ गाजियाबाद

डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस सुनील अंबावनी और जस्टिस के. एन. पांडे ने दो बिल्डरों की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उन्होंने अपील की थी कि डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाया जाए। कोर्ट ने इस दौरान प्रोजेक्ट के खर्च में हुई बढ़ोतरी की एवज में दोनों बिल्डरों को एक-एक करोड़ रुपये नगर निगम को देने के आदेश दिए हैं। इसके अलावा दोनों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना भी किया गया है। यह राशि एक महीने में देने के लिए कहा गया है।

इन बिल्डरों के अलावा हाई कोर्ट ने एक इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी के कर्मचारी अनिल कुमार त्यागी की जनहित याचिका को रद्द कर दिया। त्यागी ने भी डंपिंग ग्राउंड नहीं बनाने की अपील की थी। त्यागी पर एक लाख रुपये का जुर्माना किया गया है।

दूसरी तरफ, प्रोजेक्ट के लिए पिछले साल गालंद में एक्वायर की गई 34.20 हेक्टेयर जमीन के मालिकों की ओर से दायर एक याचिका कोर्ट ने स्वीकार कर ली है। जीडीए ने पिछले साल प्रोजेक्ट पूरा होने में हो रही देरी के चलते इसकी साइट बदलकर गालंद करने का प्रस्ताव किया था। कोर्ट ने कहा कि ऐसे प्रोजेक्ट की जमीन अधिग्रहीत करते वक्त जमीन मालिकों को आपत्ति दर्ज करवाने के अधिकार से वंचित नहीं किया जा सकता।

हाई कोर्ट ने कहा है कि बिल्डरों ने कोर्ट को गुमराह किया। उनकी वजह से डंपिंग ग्राउंड बनने का काम पांच साल डिले हो गया। इससे इसके खर्च में बढ़ोतरी हुई है। इसी की भरपाई के तौर पर बिल्डरों को एक-एक करोड़ रुपया देने को कहा गया है। गौरतलब है कि दोनों बिल्डरों ने कोर्ट में याचिका दायर कर कहा था कि उन्हें इस जगह रेजिडेंशल कॉम्पलेक्स बनाने थे और इसके लिए जीडीए को जानकारी दे दी गई थी।

नगर निगम के पार्षद राजेंद्र त्यागी ने हाई कोर्ट में प्रार्थनापत्र देकर डूंडाहेड़ा की जमीन के बारे में तथ्य पेश किए थे। उन्होंने कहा था कि यह जमीन जीडीए की नहीं है , नगर निगम की है। इस पर डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए केंद्र सरकार से वर्ष 2004 में 13 करोड़ रुपये मिले थे। नगर निगम 6 करोड़ रुपये बाउंड्री और गेट बनाने पर खर्च कर चुका है।

राजेंद्र त्यागी के वकील समीर शर्मा ने बताया कि यदि डंपिंग ग्राउंड की कॉस्ट और बढ़ जाएगी , तो बिल्डरों को और अधिक राशि नगर निगम को देनी होगी। गौरतलब है कि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण डूंडाहेड़ा की बजाय गालंद गांव में डंपिंग ग्राउंड बनाने की तैयारी कर रहा था। अभी तक यह गांव नगर निगम क्षेत्र के बाहर है। गाजियाबाद विकास प्राधिकरण ने डूंडाहेड़ा की डंपिंग ग्राउंड वाली जमीन का भू – उपयोग बदल कर आवासीय कर दिया थ ा।

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Crossing Republic Dumping-JudgmentDocument

 

बिल्डर करेंगे उच्चतम न्यायालय में अपील
31 Aug 2011
डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए हाईकोर्ट का निर्णय आने के बाद जहां गालंद और इसके आसपास के लोग खुशी मना रहे हैं, वहीं डूंडाहेड़ा और इससे सटे गांवों के लोगों, बिल्डरों और योजना के आवंटियों की की बेचैनी बढ़ गई है। बिल्डर अब इस मामले में उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाने की तैयारी में हैं। इतना ही नहीं, अब नई परिस्थितियों में ग्रामीण भी अपनी रणनीति तैयार कर रहे हैं।
 
बता दें कि मंगलवार को इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने गालंद में डंपिंग ग्राउंड बनाने के लिए भूमि अधिग्रहण को रद कर दिया और साथ ही डूंडाहेड़ा में डंपिग ग्राउंड बनाने का मार्ग प्रशस्त कर दिया। डूंडाहेड़ा में डंपिंग ग्राउंड बनाने में अवरोध उत्पन्न करने पर न्यायालय ने अंसल प्रॉपर्टीज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड व क्रासिंग इंफ्रास्ट्रक्चर प्राइवेट लिमिटेड को नगर निगम को नुकसान होने की एवज में एक-एक करोड़ रुपये निगम को देने और साथ ही दोनों पर दस-दस लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया।
 
बदली परिस्थितियों में अब जहां जीडीए और नगर निगम उच्च न्यायालय के आदेश की प्रति का इंतजार कर रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ नगर आयुक्त बसंत लाल स्पष्ट रूप से कहते हैं कि नगर निगम न्यायालय के आदेशों को लागू करेगा। इसके साथ ही बिल्डर भी उच्च न्यायालय के आदेशों को चुनौती देने की तैयारी में जुट हैं। क्रासिंग में आधा दर्जन बिल्डर हैं। इनमें से सुपरटेक ग्रुप के चेयरमैन आर.के. अरोड़ा कहते हैं कि महायोजना 2021 में डंपिंग ग्राउंड को गालंद में प्रस्तावित किया गया है। इस कारण डंपिग ग्राउंड वहीं बनना चाहिये। उन्होंने कहा, वह न्यायालय में अपील करेंगे। उन्होंने यह भी कहा, आवासीय क्षेत्र के पास डंपिंग ग्राउंड नहीं होना चाहिये।
 
दूसरी तरफ डूंडाहेड़ा समेत कई गांवों के किसान अब पंचायत करने की तैयारी में जुट गए हैं। इसके साथ ही किसान भाजपा के नेता बृजपाल सिंह तेवतिया कहते हैं कि न्यायालय ने सही निर्णय दिया है। इसका सम्मान होना चाहिये। उन्होंने कहा, नगर निगम के कूड़े का निस्तारण होना चाहिये।
 

Source -Dainik Jagran